Saturday, 11 February 2017

Tum Mujhse Kahin

#2604 

तुम मुझसे कहीं नाराज़ तो नहीं 
ऐसी कोई खता 
जिसका हमारे जिहन में 
कुछ हिसाब नहीं 

रूठे हो मुझसे तुम कुछ इस तरह 
जिसके दर्द की कोई आवाज़ नहीं 
सज़ा बताओ काट आएँगे वो भी 
हम तेरी ख़ुशी के लिए 

जिसका डर था अगर वोही हैं 
 आपकी नाराज़गी का बहाना 
कोई और हमसफ़र ढूँढ मेरे दोस्त 
हम कुछ अपनी ही कहानी में 
खोए बैठे हैं 
दिल हमारा भी हल्का हो जाता 
अगर ये जान पाते तुम मुझसे 
कहीं नाराज़ तो नहीं 

एक मुसाफिर को हमसफ़र समझ 
ज़िन्दगी गुज़ार दी 
उसने किसी और हमसफ़र के इन्तेज़ार में 
अपनी ज़िन्दगी गुज़ार दी 

तुम मुझसे कहीं नाराज़ तो नहीं 
ऐसी कोई खता 
जिसका हमारे जिहन में 
कुछ हिसाब नहीं 


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