#2604
तुम मुझसे कहीं नाराज़ तो नहीं
ऐसी कोई खता
जिसका हमारे जिहन में
कुछ हिसाब नहीं
रूठे हो मुझसे तुम कुछ इस तरह
जिसके दर्द की कोई आवाज़ नहीं
सज़ा बताओ काट आएँगे वो भी
हम तेरी ख़ुशी के लिए
जिसका डर था अगर वोही हैं
आपकी नाराज़गी का बहाना
कोई और हमसफ़र ढूँढ मेरे दोस्त
हम कुछ अपनी ही कहानी में
खोए बैठे हैं
दिल हमारा भी हल्का हो जाता
अगर ये जान पाते तुम मुझसे
कहीं नाराज़ तो नहीं
एक मुसाफिर को हमसफ़र समझ
ज़िन्दगी गुज़ार दी
उसने किसी और हमसफ़र के इन्तेज़ार में
अपनी ज़िन्दगी गुज़ार दी
तुम मुझसे कहीं नाराज़ तो नहीं
ऐसी कोई खता
जिसका हमारे जिहन में
कुछ हिसाब नहीं
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