#2604
लोग कहते हैं हम कितना हँसते हैं
कुछ हँसते हँसते रोते हैं
कुछ रोते रोते हँसते हैं
हम तो बस यूहिं हँसते हैं
कौन समझेगा उस ज़हर को ऐ दोस्त
जिसे हम पीते हैं जब वोही ना समझे
उनकी एक हँसी के लिए ही तो हम जीते थे
कौन रोकेगा उस सैलाब को ऐ दोस्त
जिसमें डुब के भी ना हम तरते हैं
उनके इंतज़ार में हर पल मरते हैं
कौन चाहेगा उस टूटे हुए दिल को ऐ दोस्त
जिसके टुकड़े अब भी पड़े मिलते हैं
उनके प्यार की राहों में
जिसके टुकड़े अब भी पड़े मिलते हैं
उनके प्यार की राहों में
लोग कहते हैं हम कितना हँसते हैं
कुछ हँसते हँसते रोते हैं
कुछ रोते रोते हँसते हैं
हम तो बस यूहिं हँसते हैं
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