Saturday 11 February 2017

Phir Se Wohi

#2604 

फिर से वोही शाम आई हैं 
तेरी यादों की घटाओ ने 
सीने में आज फिर लौ जलाई हैं 

राह तेरी हम छोड़ चले 
फिर शाम से मुँह मोड़ चले 
तेरी तस्वीर को तोड़ चले 

भूल गए कुदरत का चमत्कार 
की राह तेरी हम छोड़ कर जब मुड़े 
फिर से वोही शाम की चादर ओढ़े 
तेरी यादों में जले 

फिर से वोही शाम आई हैं 
तेरी यादों की घटाओ ने 
सीने में आज फिर लौ जलाई हैं 


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