#2604
फिर से वोही शाम आई हैं
तेरी यादों की घटाओ ने
सीने में आज फिर लौ जलाई हैं
राह तेरी हम छोड़ चले
फिर शाम से मुँह मोड़ चले
तेरी तस्वीर को तोड़ चले
भूल गए कुदरत का चमत्कार
की राह तेरी हम छोड़ कर जब मुड़े
फिर से वोही शाम की चादर ओढ़े
तेरी यादों में जले
फिर से वोही शाम आई हैं
तेरी यादों की घटाओ ने
सीने में आज फिर लौ जलाई हैं
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