#2604 
आज वो आये मिलने हमसे एक पल के लिए 
आए थे मिलने हमसे या अपना भूला सामान लेने के लिए 
वादा करके गए है आऐंगे फिर मिलने के लिए 
कब कहाँ कैसे ये सब सवाल छोड़ गए हमारे लिए 
ऐ सबमे मशरूफ मेरे हमदम 
कभी मुझको भी कुछ दम 
अपने संग जीने दे 
होश ना हो सूरज चाँद को भी दिन रात का 
ऐसी मुलाक़ात हमे भी तो दे 
कायनात की भी हो जिसपे मोहर 
ऐसी कोई सुबह शाम हमे भी तो दे 
खिला गए फूल फिर नया उस एक पल 
की मुलाक़ात से 
हम तो मुरझा ही चुके थे कबके इन्तज़ार में 
अरसो बाद ही सही ये मुलाक़ात 
ही काफी हैं जीने के लिए 
आज वो आये मिलने हमसे एक पल के लिए 
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