Wednesday, 20 January 2021

Ek Dhun Hoon

 एक धुन हूँ कैसे मैं तुझ को साज़ करूँ

एक लफ्ज़ हूँ कैसे तुझ को अल्फाज़ करूँ


जो कल ना था कैसे उसको आज करूँ

खुद से बता कैसे मैं तुझ को नाराज़ करूँ


एक पत्थर को कैसे अब मैं ताज करूँ

मिट कर कहो कैसे तुझ को आगाज़ करूँ


सबको है खबर कैसे उसको राज़ करूँ

खामोश रहके कैसे तुझ को आवाज़ करूँ


चंद क़लाम से क्या तुझ पे गाज करूँ

हर सुखन ज़माने का तुझको नवाज़ करूँ


अधूरा ही रहा पूरा वो कामकाज करूँ

तेरा ही दिया बयाँ तुझ को अन्दाज़ करूँ


खुद से भी ज्यादा मैं तुझपे नाज़ करूँ

मेरी हर साँस में मैं तुझ को रियाज़ करूँ 


बुरा तो खुद हूँ क्या तुझको वाʼ‌‌ज़ करूँ

क्यूँ दिखावे की अदा तुझको नमाज़ करूँ


रूह में बसे हो क्या तुम से लाज करूँ

सजदे में अपना सर तुझको नियाज़ करूँ


"क़लन्दर"


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